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मशहूर तबला वादिका रुचि रानी गुप्ता ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर शहर को किया गौरवान्वित...

ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह 

प्रयागराज : जनपद की संगीत शिरोमणि रुचि रानी गुप्ता ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर नगर को गौरववान्तित कर दिया है, अब उन्हें डॉक्टर रुचि रानी गुप्ता की उपाधि मिल गई है, बता दें कि रुचि रानी NET, J.R.F भी क्वालिफाइड हैं तबला स्वतंत्र वादन की माहिर कलाकार होने के साथ-साथ संगीत गायन की सभी विधाओं में संगत भी कर रही हैं ।

आपने सर्वप्रथम श्री राधे श्याम सिंह जी से तबला वादन की शिक्षा प्राप्त की थी तत्पश्चात भातखंडे डीम्ड यूनिवर्सिटी से डॉक्टर मनोज मिश्रा जी से तबला वादन सीखा, बाद में लखनऊ तबला घराने की वादन तकनीक से अपने को अभिभूत कराने हेतु रुचि जी ने लखनऊ तबला घराने के उस्ताद इलमास हुसैन खान जी से भी तबला वादन की शिक्षा प्राप्त की, वर्तमान में रुचि जी श्री अनूप बनर्जी जी जो कि आकाशवाणी और दूरदर्शन के ए ग्रेड के कलाकार हैं उनसे तबला वादन की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं ।

आप के अनेकों शोध पत्र विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकों, स्मारिकाओ, इ जर्नल्स शोध प्रबंधों में प्रकाशित हुए हैं, मोस्ट ब्यूटीफुल प्लेस ऑफ द ताल सम, सेंटीमेंट्स ऑफ ताल, लखनऊ का तबला घराना, घरानों की प्रासंगिकता, वर्तमान परिपेक्ष्य में वादयों की नवीन वर्गीकरण की आवश्यकता, तबला वादन की बंदिशें एवं बंदिशों में निहित सौंदर्य इसके अतिरिक्त अनेकों लेख रुचि जी के प्रकाशित हो चुके हैं, रुचि रानी जी विभिन्न सांगीतिक कार्यक्रमों में भी अपनी प्रस्तुति कर चुकी हैं कार्यक्रमों के विभिन्न  मंच जैसे प्रयाग संगीत समिति, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, खादी महोत्सव, चलो मन गंगा यमुना तीर, यूपी महोत्सव , संगीत मिलन, संगीत नाटक एकेडमी, हिंदुस्तानी अकैडमी इलाहाबाद इत्यादि शामिल हैं, विभिन्न कार्यक्रमों में आप को सम्मानित भी किया गया है ।

रुचि जी ने ऑनलाइन प्रस्तुतियां भी दी है वर्तमान में रुचि जी लखीमपुर खीरी के संकल्प क्लासेस में तबला वादन की शिक्षा प्रदान कर रही हैं १५ अगस्त, वर्ष २०१९ में रुचि जी की पुस्तक तालो का पारस्परिक संबंध का विमोचन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति हांगलू जी द्वारा किया गया था, सबसे बड़ी बात तो यह है कि डॉक्टर रुचि रानी गुप्ता ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से तबला वादन में पीएचडी की उपाधि को हासिल करके अपने साथ-साथ प्रयागराज का भी नाम वादन की दुनिया में प्रसिद्ध कर दिया है ।

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