Ticker

6/recent/ticker-posts

जानिए श्राद्ध के 6 पवित्र लाभ और तुलसी का महत्व, भविष्य पुराण में बारह प्रकार के श्राद्धों का है वर्णन...

रिपोर्ट-न्यूज़ एजेंसी

लखनऊ : पौराणिक कथाओं के अनुसार तुलसी से पिण्डार्चन किए जाने पर पितर गण प्रलयपर्यन्त तृप्त रहते हैं तुलसी की गंध से प्रसन्न होकर गरुड़ पर आरुढ़ होकर विष्णुलोक चले जाते हैं, श्राद्ध से बढ़कर और कोई कल्याणकारी कार्य नहीं है और वंशवृद्धि के लिए पितरों की आराधना ही एकमात्र उपाय हैं, श्राद्ध कर्म से मनुष्य की आयु बढ़ती है, पितरगण मनुष्य को पुत्र प्रदान कर वंश का विस्तार करते हैं, परिवार में धन धान्य का अंबार लगा देते हैं, श्राद्ध कर्म मनुष्य के शरीर में बल पौरुष की वृद्धि करता है और यश व पुष्टि प्रदान करता है, पितरगण स्वास्थ्य, बल, श्रेय, धन धान्य आदि सभी सुख, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करते हैं, श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करने वाले के परिवार में कोई क्लेश नहीं रहता है वह समस्त जगत को तृप्त कर देता है, भविष्यपुराण के अन्तर्गत बारह प्रकार के श्राद्धों का वर्णन हैं यह बारह प्रकार के श्राद्ध हैं, नित्य प्रतिदिन किए जाने वाले श्राद्ध को नित्य श्राद्ध कहते हैं, नैमित्तिक वार्षिक तिथि पर किए जाने वाले श्राद्ध को नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं ।

काम्य किसी कामना के लिए किए जाने वाले श्राद्ध को काम्य श्राद्ध कहते हैं, नान्दी किसी मांगलिक अवसर पर किए जाने वाले श्राद्ध को नान्दी श्राद्ध कहते हैं, पार्वण पितृपक्ष, अमावस्या एवं तिथि आदि पर किए जाने वाले श्राद्ध को पार्वण श्राद्ध कहते हैं, सपिण्डन त्रिवार्षिक श्राद्ध जिसमें प्रेतपिण्ड का पितृपिण्ड में सम्मिलन कराया जाता है, सपिण्डन श्राद्ध कहलाता है, गोष्ठी पारिवारिक या स्वजातीय समूह में जो श्राद्ध किया जाता है उसे गोष्ठी श्राद्ध कहते हैं, शुद्धयर्थ शुद्धि हेतु जो श्राद्ध किया जाता है उसे शुद्धयर्थ श्राद्ध कहते हैं इसमें ब्राह्मण भोज आवश्यक होता है, कर्मांग षोडष संस्कारों के निमित्त जो श्राद्ध किया जाता है उसे कर्मांग श्राद्ध कहते हैं, दैविक देवताओं के निमित्त जो श्राद्ध किया जाता है उसे दैविक श्राद्ध कहते हैं, यात्रार्थ तीर्थ स्थानों में जो श्राद्ध किया जाता है उसे यात्रार्थ श्राद्ध कहते हैं, पुष्ट्यर्थ स्वयं एवं पारिवारिक सुख समृद्धि और उन्नति के लिए जो श्राद्ध किया जाता है उसे पुष्ट्यर्थ श्राद्ध कहते हैं ।

Post a Comment

0 Comments