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शारदीय नवरात्रि का अन्य नवरात्रियों से है अधिक महत्व, इसी नवरात्री में होता है गरबा नृत्य...

रिपोर्ट-न्यूज़ एजेंसी 

लखनऊ : हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष आश्‍विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होती है इस नवरात्रि के बाकि की 3 नवरात्रियों, यानी एक ‍चैत्र और दो गुप्त नवरात्रियों से ज्यादा महत्व होता है इसी नवरात्रि में गरबा नृत्य होता है और विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है, दुर्गा पूजा के लिए घट स्थापना की सामग्री में हल्दी, कुंकू, गुलाल, रांगोली, सिंदूर, कपूर, जनेऊ, धूपबत्ती, निरांजन, आम के पत्ते, पूजा के पान, हार-फूल, पंचामृत, गुड़ खोपरा, खारीक, बदाम, सुपारी, सिक्के, नारियल, पांच प्रकार के फल, चौकी पाट, कुश का आसन, नैवेद्य आदि का उपयोग किया जाता है, घट अर्थात मिट्टी का घड़ा, इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है, घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें, फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें, एक बार फिर जौ डालें, फिर से मिट्टी की परत बिछाएं, अब इस पर जल का छिड़काव करें इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें, अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें, जहां घट स्थापित करना है वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें ।

घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं, घट के गले में मौली बांधे, अब एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें, अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें, अब घट और कलश की पूजा करें, फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें, इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें, अब देवी देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों, आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं कलश की पूजा करें, कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें ।

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