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जानिए विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व, कैसे होती है इस व्रत की पूजन विधि, कथा आखिर क्या है...

रिपोर्ट-न्यूज़ एजेंसी 

लखनऊ : विनायक चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से गणेश जी की भक्ति करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम या पूजा पाठ के समय सबसे पहले गणेश जी की पूजा होती है हिंदू पंचांग की प्रत्येक मास की चतुर्थी को भगवान गणेश का व्रत किया जाता है ये दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए बहुत शुभ होता है इस दिन विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा, मान्यता है विनायक चतुर्थी का व्रत करने से गणपति भगवान की विशेष कृपा मिलती है जिससे जीवन में सुख समृद्धि आती है, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें, एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा दें, भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें, भगवान गणेश के समक्ष धूप, दीप, फल, फूल अर्पित करें, गणेश जी को दूर्वा अति प्रिय होती है, गणपति को दूर्वा अर्पित करें, गणेश जी को लड्डू, मोदक और मिष्ठान का भोग लगाए, विनायक चतुर्थी की कथा पढ़े और गणेश जी की आरती करें, पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है जब भगवान शंकर तथा माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे वहां पर माता पार्वती ने भगवान शिव से समय व्यतीत करने के लिये चौपड़ खेलने को कहा, भगवान शिव चौपड़ खेलने के लिए तैयार तो हो गए, लेकिन इस खेल में हार जीत का फैसला करने के लिए कोई नही था भगवान शिव ने आस पास देख तो कुछ घास के तिनके पड़े हुए थे, भगवान शिव ने कुछ तिनके इकट्ठे किए और उसका एक पुतला बना दिया, उसकी प्राण-प्रतिष्ठा कर दी और पुतले से कहा बेटा हम चौपड़ खेलना चाहते हैं ।

परंतु हमारी हार जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है इसीलिए तुम ही बताना कि हम दोनों में से कौन हारा और कौन जीता, उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का चौपड़ खेलने लगे, दोनो ने यह खेल 3 बार खेला और संयोग से तीनों बार माता पार्वती जीत गई, खेल समाप्त होने के बाद जब बालक से हार जीत का फैसला करने के लिए कहा गया, तो उस बालक ने कहा कि चौपड के खेल में भगवान शिव जीते हैं, बालक की यह बात सुनकर मां पार्वती को गुस्सा आया, उन्होंने बालक को अपाहिज रहने के श्राप दे दिया, यह सुनकर बालक को बहुत दुख हुआ उसने माता पार्वती से माफी मांगी और कहा कि यह हे मां पार्वती मुझसे गलती से अज्ञानतावश ऐसा हुआ है ये मैंने किसी द्वेष भाव में नहीं किया, बालक द्वारा क्षमा मांगने पर माता ने कहा श्राप तो वापिस नहीं हो सकता लेकिन इसका पश्चाताप हो सकता है तुम ऐसा करना 'यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आएंगी, उनके कहे अनुसार तुम गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे, यह कहकर माता पार्वती शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गईं, जब उस स्थान पर नागकन्याएं आईं तब बालक ने उनसे श्री गणेश के व्रत की विधि पूछी, उस बालक ने 21 दिन तक लगातार गणेशजी का व्रत किया, उसकी यह श्रद्धा से गणेशजी प्रसन्न हो गए उन्होंने बालक को मनोवांछित फल मांगने के लिए कहा, उस पर उस बालक ने कहा हे विनायक! मुझमें इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता पिता के साथ कैलाश पर्वत पर जा सकूं, भगवान गणेश बालक को यह वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए इसके बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया और कैलाश पर्वत पर पहुंचने की अपनी कथा उसने भगवान शिव को सुनाई, चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती शिवजी से भी विमुख हो गई थीं ।

अत: देवी के रुष्ट होने पर भगवान शिव ने भी बालक के बताए अनुसार 21 दिनों तक श्री गणेश का व्रत किया, इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान शिव के लिए जो नाराजगी थी, वह समाप्त हो गई, मान्यता है कि जो भी भगवान गणेश की आराधना करता है उसके सारे दुख दूर होते हैं, हिंदू धर्म में गणेश जी को सबसे पहले पूजा जाता है उनके बिना कोई भी पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए चतुर्थी तिथि पर उनकी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है, विनायक चतुर्थी का व्रत करने से गणेश जी का आशीर्वाद मिलता है जो महिला विनायक चतुर्थी का व्रत करती है उसे कभी संतान दुख नहीं होता है भगवान गणेश की कृपा से उसके सारे दुख दूर होते हैं ।

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