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अंग्रेजों से जुड़ी है फांसी इमली की कहानी, जहां लोगों को खुलेआम दी गई थी फांसी...

ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
 

प्रयागराज : शहर के सुलेम सराय में स्थित फांसी इमली का स्थान आज भी अंग्रेजों की बर्बरता को संजोए हुए है। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान सन अठारह सौ सत्तावन में अंग्रेजों ने इसी फांसी पर हजारों गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को सरेआम फांसी पर लटका दिया था। मौलवी लियाकत अली के विद्रोह के बाद उनके साथियों ने इलाहाबाद में अंग्रेजों की सभी सरकारी इमारतों पर कब्जा लिया। और वहां पर अपने लोगों को अधिकारी कर्मचारी बनाकर तैनात कर दिया।
जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने विद्रोहियों को रोकने के लिए कई क्रूर सैन्य अधिकारियों को इलाहाबाद भेज दिया। जिसमें जनरल जेम्स नील का नाम आज भी रोंगटे खड़े कर देता है। उसी दौरान विद्रोह को कुचलने के लिए जनरल नील ने इलाहाबाद में कदम रखा। वो इतना निर्दयी था कि उसकी मौजूदगी ही दहशत पैदा करती थी‌। नील ने सिर्फ विद्रोह को नही दबाया बल्कि उसे बेरहमी से कुचल डाला। आम नागरिक महिला बच्चे और जिस किसी पर भी विद्रोह का शक था उस पर कोई रहम नही किया ।

नील ने जी टी रोड किनारे कई पेड़ों पर लोगों को खुलेआम फांसी, बिना मुकदमे के मौत की सजाये दी। उन पेड़ों में ये फांसी इमली का पेड़ भी शुमार है‌। उस समय सड़कें निर्दोषों के खून से लाल हो गई थी, बर्बरता इतनी भयानक थी की अंग्रेज भी दंग रह गए। नील की ऐसी करतूत सिर्फ व्यवस्था के लिए नही थी भारतीय लोगों में डर पैदा करने के लिए थी। ऐसा डर जो हमें इस फांसी इमली के इर्द गिर्द अंग्रेजों की क्रूरता की याद दिलाता है। ऐसी ऐतिहासिक खबरों को देखने के लिए टी बी न्यूज़ चैनल को फेसबुक इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फॉलो करें ।

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