ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
कौशाम्बी : जनपद में कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में केंद्र द्वारा आत्मा योजनान्तर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रशिक्षण के समापन के पूर्व तकनीकी सत्र में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉक्टर अजय ने खरीफ फसलों में वैज्ञानिक प्रबंधन के महत्व को बताते हुए प्रशिक्षणर्थियों को बताया कि वैज्ञानिक प्रबंधन के द्वारा खरीफ फसलों में लागत कम करते हुए अधिक उत्पादन एवं लाभ प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने खरीफ सीजन की फसलों धान, तिल, बाजरा एवं ज्वार आदि फसलों की वैज्ञानिक प्रबंधन की विस्तृत चर्चा की उन्होंने बताया कि धान की जस्ता की कमी से खैरा रोग होने पर 1 से 1.5 कि.ग्रा. जिंक 33 प्रतिशत, 5 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर फ्लैट नोजल के द्वारा स्प्रे करें। यदि धान में तना बेधक, पत्ती लपेटक एवं हिस्पा के नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 25% ई.सी.1.50 लीटर 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि यदि तिल में रोएदार सुंडी का प्रारंभिक अवस्था में प्रकोप हो रहा है तो क्यूनालफॉस 25 ई.सी. 1.5 लीटर 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इस क्रम में उन्होंने कृषि विभाग की चल रही योजनाओं की चर्चा की उनमें से एक कुसुम योजना की विस्तृत चर्चा करते हुए उसे आज के समय की महत्वपूर्ण मांग माना गया है ।
उन्होंने बताया कि कुसुम योजना का उद्देश्य किसान भाइयों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यूपी सरकार किसानों को हरित ऊर्जा से जोड़ने के लिए भारी भरकम अनुदान भी दे रही है किसान भाई अपने खेतों में सोलर प्लांट लगाकर बिजली पैदा कर सकते हैं और प्राकृतिक ऊर्जा की बचत कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में चार विकास खंड मूरतगंज, चायल, नेवादा एवं बारा के कुल 32 कृषकों ने प्रतिभाग किया ।
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