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गंगा यमुना का जलस्तर स्थिर मगर सहायक नदियां उफान पर, बाढ़ का खतरा बना बरकरार...

ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह 


प्रयागराज : जनपद में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत भरी खबर है। गंगा का जलस्तर फिलहाल स्थिर है। सिंचाई विभाग बाढ़ खंड की बुलेटिन के अनुसार बृहस्पतिवार को भी गंगा के जलस्तर में कमी दर्ज की गई है। अब यहां पर फाफामऊ में गंगा 83.64 मीटर पर बह रही हैं। छतनाग में जलस्तर 82.32 मीटर पर बह रही हैं। इसी तरह यमुना का जलस्तर भी घट रहा है। नैनी में फिलहाल जलस्तर 82.96 मीटर पर है। जनपद से गुजरने वाली ससुर खदेरी, मनसैता, टॉस, बेलन, गोरमा, लापरी, टुडियारी आदि नदियां भी उफान पर हैं। जिससे इनके किनारे के रिहायशी इलाकों में खलबली मची है। घरों में पानी भर गया है और खेतों में फसलों के ऊपर से पानी बह रहा है। सर्वाधिक नुकसान सब्जियों की खेती को हुई है। तराई इलाकों में बोई गई नेनुआ, भिंडी, तरोई, लौकी, कद्दू, खीरा, करैला आदि सब्जियों के साथ मकई, ज्वार, तिल्ली आदि फसलें बाढ़ से बर्बाद हो गई हैं। जिले में मंगलवार को 11 घंटे में 42.31 मिलीमीटर बारिश हुई। इनमें से करछना और कोरांव के बाद शहर में सबसे अधिक सदर तहसील में 60 मिमी बारिश हुई। प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह आठ से शाम सात बजे के बीच करछना में 72 मिमी बारिश हुई। कोरांव में 62 मिमी और सदर तहसील में 60 मिमी बारिश हुई। बारा में 33, हंडिया में 23.5, फूलपुर में 10 तथा सोरांव में 15 मिमी बारिश हुई।

गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ने के बाद सहायक नदियां चंबल, केन और बेतवा भी उफान पर थी। कई जिलों से होते हुए प्रयागराज में पानी पहुंचा तो वह बाढ़ का रूप ले लिया था। यमुना के सापेक्ष शुक्रवार को गंगा का पानी धीमी गति से बढ़ा था। यमुना का वेग इतना तेज था कि रात तक लेटे हनुमानजी डूब गए। सुबह तक मंदिर परिसर में कमर तक पानी भर गया था। बाढ़ का खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है। नदियां उफान पर हैं तो करीब एक मीटर की गिरावट के बाद जलस्तर फिर स्थिर हो गया है। यानी, गिरावट थम गई है। इससे बाढ़ में फंसे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं ।

प्रशासन ने भी घर जाने के लिए तैयार लोगों को राहत शिविरों में रोक लिया है।गंगा और यमुना का जलस्तर चेतावनी बिंदु को पार करने के बाद खतरे के निशान के करीब पहुंच गया था। इससे बड़ा इलाका बाढ़ की चपेट में आ गया है। बघाड़ा, सलोरी, बेली कछार, राजापुर, गंगानगर, नेवादा समेत अनेक मोहल्लों के हजारों मकान डूब गए हैं। इस वजह से बड़ी संख्या में लोगों को घर छोड़कर अपने रिश्तेदारों के यहां जाना पड़ा था। 395 परिवार के 1696 लोग तो प्रशासन की ओर से राहत शिविरों में पहुंचे हैं ।

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