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इलाहाबाद के कलेक्टर भवन का रोचक इतिहास, अंग्रेजों के जमाने से आज भी दे रहा सेवा...

ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह 


प्रयागराज : इलाहाबाद अब कमिश्नरेट प्रयागराज के नाम से मशहूर है। ये कलेक्टर परिसर भारत के सबसे पुराने सरकारी दफ्तरों में से एक है। अंग्रेजों के ज़माने में सन अठारह सौ बीस के आसपास इसे बनाया गया था। इतिहास के जानकारों के हिसाब से, ये पूरा परिसर सरकारी कामकाज के लिए बना था कलेक्टर परिसर की इमारत में ब्रिटिश और भारतीय शैली का गजब का मेल है, इसी परिसर में भारत की आजादी की कई बड़ी-बड़ी घटनाएं घटी हैं। आज़ादी की लड़ाई के दिनों में यहाँ आज़ादी के दीवानों ने खूब हलचल मचाई थी। परिसर में एक पुरानी सी घड़ी वाली मीनार भी है जो इसकी ऐतिहासिक अहमियत को और बढ़ा देती है। आज भी ये परिसर सरकारी कामों के लिए बहुत ज़रूरी है इलाहाबाद के इतिहास में इसकी एक खास जगह है। इस ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट भवन के प्रथम कलेक्टर आर अहमुटी थे। बताया जाता है कि अंग्रेजों ने जिन समय इसका निर्माण कराया था उस समय यह किसी महल से कम नही था ।

उस समय के दौर में इसकी अलग ही हनक थी इसे भारतीय लोगों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए बनवाया गया था यहां से कलेक्टर को एक विशेष अधिकार के तहत ब्रिटिश सरकार के पक्ष में कोई भी फरमान जारी करने की पावर होती थी। इस सरकारी भवन में सिर्फ अंग्रेजी अधिकारियों और उनके चहेतों की ही सुनाई होती थी बाकी लोगों पर सिर्फ अत्याचार किया जाता था, उन्हें डराया धमकाया जाता था। इस परिसर में मौजूद कई पुराने पेड़ों ने उनकी बर्बरता भी झेली है जहां क्रांतिकारियों की जमीन घरों पर कब्जा कर लेने का हुक्म सुनाकर जबरन फांसी पर लटका दिया गया था और उनके शव को आर्मी कैम्प के पीछे जंगलों में फेकवा दिया जाता था। लोग इस कलेक्ट्रेट परिसर की ओर देखने मात्र से डर जाते थे और ईश्वर से प्रार्थना करते थे कि इस कलेक्ट्रेट परिसर में जाने की नौबत नहीं आये। लेकिन अब आजादी के बाद यह स्वतंत्रत रूप से लोगों को अपनी सेवा दे रहे हैं ।

अब हर भारतीय यहां निसंकोच अपनी समस्या लेकर लेकर आता जाता है और यह सम्भव हुआ है हमारे स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों की वजह से उनके बलिदान के कारण आज यह कलेक्टर परिसर भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था का अंग बना हुआ है। या यूं कहे के अंग्रेजों ने हमसे बहुत कुछ छीना था जिसकी भरपाई अब तक यह कलेक्ट्रेट परिसर कर रहा है इसकी दीवारें आज भी मजबूती के साथ खड़ी है। सरकार को इस विरासत को बचाने के लिए इस पर और ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि अधिकारियों की उदासीनता के चलते इसके रखरखाव में आभाव हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक खबरों के लिए टी बी न्यूज़ को इंस्टाग्राम फेसबुक और यूट्यूब पर फॉलो करें ‌।
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