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शहीद भगत सिंह से जुड़ा दिलचस्प वाक्या, जब उन्होंने मांगी थी फायरिंग स्काट की सजा...

ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह 


लखनऊ : शहीद भगत सिंह से जुड़ा एक दिलचस्प वाक्या है आइए आपको बताते हैं भगत सिंह ने अपनी गिरफ़्तारी के दौरान अंग्रेज़ों से कहा था, बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत थी। भगत सिंह और उनके साथियों ने अंग्रेज़ी हुकूमत के सामने मांग रखी कि उन्हें राजनीतिक कैदियों का दर्जा दिया जाए और सैनिकों की टुकड़ी द्वारा गोली मारकर उन्हें सज़ा दी जाए, फांसी के तख़्ते पर नहीं। उनके इस कदम से उनका मकसद स्पष्ट था कि वो अपने को क्रांतिकारी और राजनीतिक लड़ाई का हिस्सा दिखाना चाहते थे, ना कि किसी आम अपराधी की तरह फांसी की सजा दी जाए। भगत सिंह अपनी शहादत के वक़्त बेहद कम उम्र के थे, मात्र 23 साल के। उनके सामने पूरी ज़िंदगी पड़ी थी, मगर उन्होंने अंग्रेज़ों के आगे घुटने टेकने से इनकार कर दिया। यहाँ तक कि, उनके शुभचिंतकों की क्षमा याचना की गुहार को भी उन्होंने ठुकरा दिया। यह उनकी दृढ़ निष्ठा और अपने आदर्शों के प्रति अडिग संकल्प को दर्शाता है। भारत माता के लिए उनका यह बलिदान कभी भुलाया नही जा सकता। आज भी शहीद भगत सिंह का नाम लेते ही हर भारतवासी गौरवांवित होने लगता है। शहीद भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ खुला विद्रोह किया। भगत सिंह ने ब्रिटिश सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए न्याय और स्वतंत्रता के लिए अपने कई साथियों के साथ संघर्ष किया ।

सन 1928 के दौर में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु ने की थी, जिसका मकसद लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेना था। जिन्हें साइमन कमीशन के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा मारा गया था। इसके बाद भगत सिंह ने 1929 में दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका, जिसमें किसी की जान नहीं गई थी। उनका मकसद किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं था बल्कि ब्रिटिश सरकार को संदेश देना था। इस घटना के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और सन 1931 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश सरकार द्वारा फाँसी की सजा सुना दी गई। जिसके बाद उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को नई ऊर्जा प्रदान किया। आज उन्हें उनके  बलिदानों के लिए एक अमर नायक के तौर पर देश में याद किया जाता है ।

भगत सिंह के समय उनके द्वारा की गई प्रमुख घटनाओं में सान्डर्स हत्या 1928 लाला लाजपत राय की मौत का बदला। असेंबली बम कांड 1929 ब्रिटिश हुकूमत को संदेश देने के लिए। फांसी 1931 देशभक्तों के बलिदान का प्रतीक आदि प्रमुख हैं। भगत सिंह ने अपने विचारों और बलिदान से पूरे देश में जागरूकता फैलाई, और आज भी उन्हें ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। ऐसी ऐतिहासिक खबरों के लिए टीबी न्यूज़ को फेसबुक इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फॉलो करें ।

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