रिपोर्ट-संदीप कुमार
कौशाम्बी : जनपद में एक ऐसा सफाई कर्मी का मामला सामने आया है जो अफसर की तरह कार्यालय में घूमता देखा जाता है बताया जा रहा है कि विकास भवन कार्यालय में पूरे दिन कुर्सी पर आराम करता है। बिना ड्यूटी दिए लगभग 15 वर्षों से इस सफाई कर्मी को वेतन मिल रहा है आखिर सरकारी खजाना अफसर क्यों लूटवा रहे हैं। जब काम नहीं तो दाम नहीं की तर्ज पर इसका वेतन रोक देना चाहिए और 15 वर्षों से दिए गए वेतन की रिकवरी कराए जाने की जरूरत है लेकिन उसके बाद भी यह सफाई कर्मी अफसर का खास है। आखिर अफसर को सफाई कर्मी से क्या फायदे हैं यह बड़ी जांच का विषय है। जबकि सफाईकर्मी के पद पर रामबाबू नाम का व्यक्ति जिले में कार्यरत है परन्तु यह अपनी तैनाती की तिथि से आज तक अपने तैनाती स्थल यानी ग्राम पंचायत में साफ-सफाई का कार्य करने नही गया। इसका विगत 15 वर्षों से वेतन कैसे निकाला जा रहा है यह बड़ी जांच का विषय है यह सफाई कर्मी अफसर बन चुका है। बतादें कि विगत 15 वर्षों से अधिक समय से जिला पंचायत राज अधिकारी कौशाम्बी कार्यालय में सम्बद्ध होकर सफाईकर्मियों एवं ग्राम पंचायत अधिकारियो से ट्रान्सफर, पोस्टिंग और रूके हुये वेतन को निकलवाने हेतु भारी-भरकम राशि लेकर उनका कार्य किया जाता है। मात्र बिल लिपिक के रूप में एक बाबू को नामित किया गया है, जबकि सारा कार्य रामबाबू सफाईकर्मी द्वारा किया जाता है। इसकी आय से अधिक सम्पत्ति की जाँच कराई जाए तो इसके कारनामे का खुलासा होना तय है। डीपीआरओ कार्यालय में मौजूद रहने वाले सफ़ाई कर्मी की पूर्व में कई बार अन्य सफाईकर्मियों द्वारा शिकायत की गयी है परन्तु जिला पंचायत राज अधिकारी का खासमखास होने के कारण यह बार-बार बच जाता है। बिना ड्यूटी के वेतन लेने वाले सफाई कर्मी की शिकायत मुख्य विकास अधिकारी एवं तत्कालीन सांसद से भी हुई है, लेकिन अफसर के साथ सांसद भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सके। सफाई कर्मियों का कहना है कि कुछ दिनो के लिये इसे कार्यालय से हटाया गया था हटाए जाने के कुछ दिनों बाद फिर से इसे कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया ।
यह घोर कमीशनखोरी में लिप्त है मनबढ़ सफाई कर्मी का कहना है कि मेरी शिकायत चाहे जहां कर लो और चाहे जिससे कर लो मेरा कोई कुछ बिगाड़ नही पायेगा। उसका कहना है कि विभाग के अफसरों की गर्ज होगी तो मुझे बुलायेंगे और लाख बार बुलायेंगे। नेवादा ब्लाक में तैनात कुछ सफाई कर्मियों की वेतन रोकी गई थी जिन्हें माननीय कोर्ट तक जाना पड़ा इनका भी आरोप है कि डीपीआरओ कार्यालय में मौजूद रामबाबू सफाईकर्मी की मनमानी और अवैध वसूली के चक्कर मे उनका वेतन रोका गया था। कथित बाबू बने सफाईकर्मी का बोलचाल एवं व्यवहार से अधिकांश सफाई कर्मचारी असंतुष्ट है लेकिन अफसर संतुष्ट है। जिससे बिना ड्यूटी दिए उसका वेतन दिया जा रहा है उसका बाल भी बांका नहीं हो रहा है जिससे जिला पंचायत राज अधिकारी की अनदेखी और संलिप्तता का अंदाजा लगाया जा सकता है कहीं ना कहीं जिम्मेदारों की कमीशनखोरी के चलते यह सरकार की मनसा को भी पलीता लगाने काम किया जा रहा है ।
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