ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
प्रयागराज : जनपद में रविवार के दिन पूरामुफ्ती चौराहे पर संत शिवसेवक वैष्णोंदास शिवकरन जी का आगमन हुआ। वह एक लम्बी पथ यात्रा का संकल्प लेकर तीर्थों का भ्रमण कर रहे हैं। देश के कल्याण का भाव लिए नंगे पाँव तिरंगा लेकर राष्ट्रहित में भारत परिक्रमा कर पेट्रियोट चीफ ऑफ चेम्पियन का खिताब हासिल कर चुके हैं। संत शिवकरन महाकुंभ के अंतिम स्नान शिवरात्रि के दिन महाकुंभ में पहुंचकर अस्था की डुबकी लगाई। अब महाकुंभ के समापन पर फिर से अपने गंतव्य की ओर निकल पड़े हैं। बतादें कि संत शिवकरन उत्तर प्रदेश के जिला फतेहपुर जिसे वीर बलिदानियों की धरती कहा जाता है। वहीं के ब्लाक देवमई थाना औंग अन्तर्गत ग्राम खरौली के निवासी हैं। जो 25 मार्च 2022 से राष्ट्र का कीर्तिमान तिरंगा सर्वशक्तिमान महाशक्ती की ध्वजा हाथ में लिए अकेले नंगे पाँव उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, चण्डीगढ़, हिमाचल प्रदेश, नीलम घाटी, श्री चण्डी, मचेल, चाईना बार्डर से 30 नवम्बर 2022 को जम्मू कश्मीर पहुंचे थे।
समाज से राष्ट्र की सीमाओं तक तैनात बेल्ट फोर्सेस जवानों की सुरक्षा सलामती की दैवीय प्रार्थना माँ चण्डी मचेल मन्दिर में कर तिरंगा महाशक्ती ध्वज चढ़ाकर रामेश्वरम कन्याकुमारी नया ध्वज लेकर चले। कटरा जम्मू श्री माता वैष्णों देवी होते हुए पजाब, दिल्ली, बिहार, झारखण्ड, छत्तीस, बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, रामेश्वरम होते हुए 27 अक्टूबर 2024 कन्याकुमारी रॉक मेमोरियल में श्री स्वामी विवेकानंद केन्द्रम पहुँचे। जहां राष्ट्र उन्नति भारतवर्ष के कल्याण हेतु पूजन प्रार्थना कर बैंगलुरू कर्नाटक, पुनःआंध्रा प्रदेश तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, संगम नगरी प्रयागराज पहुंचे हैं।
महाकुंभ में स्नान करने के बाद अब वह फतेहपुर के लिए पुनः निकल पड़े हैं। रविवार को जब वह पूरामुफ्ती चौराहे पर पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 22,000 किलो मीटर पदयात्रा कर पूज्य आदर्शों द्वारा कुलपूजित श्री माता वैष्णों देवी नकटा रौली सिद्ध शक्तीपीठ मन्दिर में हवन यज्ञ जागरण करेंगे। उसके बाद भारत की प्रथम नागरिक के ग्राम उड़ीसा जगन्नाथपुरी क्षेत्र में जाकर यह राष्ट्रहित विशाल पदयात्रा का समापन करेंगे।
उन्होंने कहा कि यह यात्रा वह युवाओं और स्वतंत्रता सेनानियों, देश के सैनिकों, पत्रकारों के नाम समर्पित कर चुके हैं। संत शिवकरण का मानना है कि उनकी यह पदयात्रा लोगों में देश भक्ति की प्रेरणा का संचार करेंगी। जिससे सनातन धर्म और देश की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा।
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