रिपोर्ट-रितेश सिंह
प्रयागराज :- महाकुंभ मेला भारत का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है, जो हर 12 वर्षों में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आयोजित किया जाता है। यह मेला हिंदू धर्म की आस्था, संस्कृति और परंपराओं का सबसे बड़ा प्रतीक है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु और संत महात्मा भाग लेते हैं।
महाकुंभ का महत्व, आस्था और आध्यात्मिकता का महासंगम...
महाकुंभ का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। मान्यता है कि इस दौरान संगम में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऋग्वेद, महाभारत और पुराणों में भी इस मेले की महिमा का उल्लेख किया गया है। यह मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समागम भी है।
महाकुंभ की पौराणिक कथा...
महाकुंभ का आयोजन समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है। जब देवताओं और दानवों ने मिलकर अमृत निकालने के लिए समुद्र मंथन किया, तब अमृत कलश को लेकर देवताओं और दानवों में युद्ध हुआ। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिरीं। इसलिए इन चार स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन होता है।
महाकुंभ का आयोजन...
महाकुंभ मेला हर 12 वर्षों में चार तीर्थ स्थलों पर आयोजित होता है जिनके नाम स्थान इस प्रकार है।
1. प्रयागराज - गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम तट पर।
2. हरिद्वार - गंगा नदी के तट पर।
3. उज्जैन - क्षिप्रा नदी के तट पर।
4. नासिक - गोदावरी नदी के तट पर।
इसके अलावा, हर 6 वर्षों में अर्धकुंभ और हर 144 वर्षों में महाकुंभ का आयोजन होता है जो और भी अधिक भव्य दिव्य होता है।
महाकुंभ में प्रमुख आयोजन...
1. शाही स्नान :- विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत पहले स्नान करते हैं, जिसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
2. संत-महात्माओं का प्रवचन :- प्रसिद्ध संत और महापुरुष आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार करते हैं।
3. भव्य शोभायात्राएँ :- नागा साधु, अघोरी और अन्य संतों की शोभायात्रा मेले का मुख्य आकर्षण होती है।
4. धार्मिक अनुष्ठान :- यज्ञ, हवन, भागवत कथा और अन्य धार्मिक क्रियाएँ होती हैं।
महाकुंभ का सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव...
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह भारत की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और विरासत को दर्शाता है। इस मेले से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, जिससे स्थानीय व्यापार और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है। महाकुंभ मेला केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और भक्ति का एक अद्भुत संगम है। यह मेला हमें हमारी प्राचीन परंपराओं से जोड़ता है और आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है। जो भी व्यक्ति इस महायोग में भाग लेता है, उसे एक अनूठा आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है, जो जीवनभर उसके साथ रहता है।
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