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प्राचीन भारत में विज्ञान और तकनीक की उपलब्धियाँ, वास्तुकला और निर्माण कला...

रिपोर्ट - रितेश सिंह

लखनऊ :- प्राचीन भारत ने गणित को शून्य (0) की खोज दी, जो आज की विज्ञान और तकनीक का आधार है। महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने पाई (π) का मान बताया और बीजगणित तथा त्रिकोणमिति की नींव रखी।

खगोलशास्त्र में प्रगति...

भारत के खगोलशास्त्री वराहमिहिर और भास्कराचार्य ने ग्रहों की गति, ग्रहण और सौरमंडल की संरचना पर गहन अध्ययन किया। उन्होंने बिना किसी आधुनिक उपकरण के सही गणनाएँ कीं।

आयुर्वेद और चिकित्सा...

आयुर्वेद, प्राचीन भारत की चिकित्सा प्रणाली, आज भी विश्वभर में लोकप्रिय है। चरक और सुश्रुत जैसे महान चिकित्सकों ने शल्य चिकित्सा, औषधियों और रोगों के उपचार पर ग्रंथ लिखे। सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक माना जाता है।

वास्तुकला और निर्माण कला...

तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों की वास्तुकला और नगर नियोजन, प्राचीन भारत की उन्नत तकनीकी जानकारी को दर्शाते हैं। लोहे का खंभा (दिल्ली) आज भी बिना जंग लगे खड़ा है, जो उस युग की धातु विज्ञान की उन्नति को दर्शाता है।

जल प्रबंधन प्रणाली...

प्राचीन भारत में कुंड, बावड़ी, नहर और झीलों के माध्यम से जल संरक्षण की बेहतरीन प्रणाली विकसित की गई थी। आज के आधुनिक युग में भी इन प्रणालियों से सीख ली जा रही है।

विश्व को भारत की देन...

योग, शून्य, दशमलव पद्धति, प्राकृतिक चिकित्सा और ध्यान जैसी वैज्ञानिक और आध्यात्मिक खोजों ने भारत को वैश्विक स्तर पर विशेष स्थान दिलाया है। प्राचीन भारत का विज्ञान और तकनीक का इतिहास गौरवशाली रहा है। TB News आपको ऐसे ऐतिहासिक तथ्यों से अवगत कराता रहेगा।

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